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राज़ को राज़ ही रहने दो न अभी अश्कों को पिघलने दो

राज़ को राज़ ही रहने दो न
अभी अश्कों को पिघलने दो न
उजाला होना तो ब्रम्ह सत्य है
अभी परीक्षाओं को चलने दो न
राज़ को राज़......
मैं प्रश्न हूं मुझसे प्रश्न तो ना करो
बस एक दूजे को परखने दो न
बहुत भंडार है पास में शंशयों का
अभी तो उन्हें खर्च करने दो न
राज़ को राज़......
उसकी माया सुना है निराली है
कुछ दिन ही सही भटकने दो न
सभी उत्तर हैं प्रश्नवाचक कोई नहीं
मेरे "सूर्य" को ज़रा उगने दो न
राज़ को राज़......

©R K Mishra " सूर्य "
  #राज़  Mili Saha Sethi Ji Kanchan Pathak Utkrisht Kalakaari भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन