जो टूट गया वो वादा था खत मिला जो उसका आधा था वो सुबह को यही सोच कर आई थी मेरे पास रात न रुकने का तो उसका शुरू से ही इरादा था किया तो उसने भी था इश्क मुझसे ग़ालिब उसका थोड़ा और मेरा थोड़ा ज्यादा था मासूमियत मगरूरियत को छुपा लेती है मैं पढ़ न सका चेहरे पर उसके मेकअप बहुत ज्यादा था #कहानी #गजल #शायरीलवर #व्यंग्यात्मक