'बचपन वाले खेल' हम जो गुड्डे गुड़ियों वाला खेल खेलते थे सारे रिश्ते -नाते निभाते थे, गुड़ियों की सगाई फिर उनकी शादी वाली धूम, गीत,नृत्य,सजावट सब होता था, बारात आना फेरे करवाना और दुल्हन को विदा करने वाला दृश्य सब के सब याद है मुझे दुल्हन का रूठना पीहर को आना, फिर उसे मनाना। सारा खेल अब भी वैसा का वैसा ही याद है, बहुत याद आता है बचपन।। ©OM Prakash Lovevanshi "Sangam" #ओम_प्रकाश_लववंशी_संगम #sangam_kota #sangam_banna #SAD