*जा रहा हूँ, मैं हूँ..* *साल दो हज़ार बीस,* कैप्शन पड़े *जा रहा हूँ, मैं हूँ..* *साल दो हज़ार बीस,* *क्षमा करना,* दिलों में मत रखना कोई टीस, नफ़रत स्वाभाविक है, छीना जो है बहुत कुछ, बच्चों से पिता को,