सुनो मैं भी हिन्दोस्तान हूँ इस मुल्क में रेहता मैं भी एक इंसान हूँ मैंने भी खोली है आंखें अपनी इसी मिट्टी की खुशबू मे किये है मैंने भी कपड़े मैले इसी सुनहरी बालू मे मैंने भी धोया है मंदिर की उस चौखट को दिया है अपने कुंए से पानी उस मंदिर के प्रसाद को इस मुल्क की जीत मे हमने भी खुशियां मनाई है हारने पर इसके हमने भी पलके झुकाई है खडा हुआ हूँ गर्व से मैं भी अपने राष्ट्रगान पर है फकृ मुझे भी अपने इस वतन-ए-हिन्दोस्तान पर आए है इस मिट्टी मे इसी मिट्टी मे जाएंगे मरने के बाद यही सुपुर्द-ए-खाक हो जाएंगे अब मांगने पर उनको अपनी पहचान बताना है मुस्लमान होने से फर्क़ नहीं पड़ता अब यही बात उनको समझाना है। #immuslim #imindian #brotherhood #love