तेरी मासूमियत भी जुल्म ढाती हैं दिल पर, अपनी अदा यूं न सबको दिखाया करो। ढहते हुए घरों को दीवारें ही छोड जाती हैं, अपने राज यूं ना सबको बताया करो। मेरी यादों में तो अभी भी तेरी ही तस्वीर दिखती है, सबको एक ही पैमाने में ना आजमाया करो। हालत ए दिल अब सुनाए भी तो किसे, कुछ दिल की बात दिल में ही छुपाया करो बड़ी बेरुखी से गुजर रही है जिंदगी मेरी, यूं ना इस कदर जुल्म ढाया करो। न जाने कितने आंशु अहसान है मेरे तुम पर , ज्यादा न सही कुछ तो लौटाया करो। SD #sitam