चले आओ किसी की जुल्फ का बादल बुलाता है तुम्हारी याद मे होकर कोई पागल बुलाता है बुलाती है किसी की संदली बाहों की बैचेनी किसी की आँख का भीगा हुआ काजल बुलाता है imran prtapgurhi