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हम अपने दिलो दिमाग़ के भीतर समेट कर। लाए हैं कुछ

हम अपने दिलो दिमाग़  के भीतर  समेट कर।
लाए हैं कुछ किस्से और कुछ बातें समेट कर।।

जाने कैसी चली है अब ये हवा जरा तो देखिए।
दिन में भी छुपे हैं पक्षी  अपने पंख  समेट कर।।

©Anuradha Priyadarshini
  समेट कर

समेट कर #लव

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