गुज़रे हुए पलों को कहां ढूंढ़ता फिरूं? उम्र-ए-रवां की उसपे ये रफ़्तार,क्या करूं! 'उम्र-ए-रवां" इस तरकीब का मतलब होता है मौजूदा उम्र, बहती हुई उम्र इस तरकीब को अपने किसी शेर या नज़्म में बांधें कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मिरी उम्रे-रवां मेरा बचपन मेरे जुगनू, मिरी गुड़िया ला दे..