अब कहाँ प्यार होगा ज़िन्दगी है काटी जाएगी खुशियाँ मेरे लिए कहाँ दुसरो में बाटी जाएगी एक लकीर जो तुम खींच गयी वो लकीर दोहराती जाएगी जो पत्ता तेरे भरोसे है हवाएं उसे गिराती जाएंगी तुम्हारी हर याद को अब कोई नई मिटाती जाएगी शोहरते क्या करूँगा लेकर घाट तक सिर्फ माटी जाएगी किसे ग़म हम लूट गए महफ़िल तालियां बजाती जाएगी ~क्षत्रियंकेश माटी!