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जब खोलते हैं आंखे सूरत तुम्हारी दिखती है सुबह के उ

जब खोलते हैं आंखे सूरत तुम्हारी दिखती है
सुबह के उजाले में सूरज की तरह खिलती है
झूठ नहीं ये सच है मुझे तुमसे मोहब्बत हुई लगती है
शाम का आलम अनोखा है पवन का झोंका लगे तेरा बोसा है
शीतल लहर जो उठती है तू साथ ही मेरे लगती है
रात को पलकें बंद होने पर तेरी तस्वीर ही सजती है
सिर्फ़ तू ही दिल में बस्ती है

©Dr  Supreet Singh
  #तू_ही_तू