खुला आसमां देखो पुकारे है मुझे चन्दा भी अकेला निहारे है मुझे मुहब्बत की यह कैसी शुरुआत है अभी तो पहली ही मुलाक़ात है लम्हें भर में बेतक़ल्लुफ़ी ठीक नहीं नाज़ुक उम्र में बेखुदी मुफ़ीद नहीं रहने दो दरमियां ज़रा सा फ़ासला चाहत में चाहिए सब्र का सिलसिला मुनासिब नहीं इश्क़ में इतनी बेतरबियत ख़्वाबों से जुदा है ज़मीनी हक़ीक़त पहले मुस्तक़बिल को अपने संवार लें फिर चाहे जितना हम एक दूजे को निहार लें जान जाओ ज़िन्दगी की सख़्तियों को तुम पढ़ लेना फ़िर प्यार में लिखी चिट्ठीयों को तुम ©Roohi Quadri #TeenAgeLove #इश्क़❤ #Love