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तोहफ़ा मोहब्बत का यूँ सँजो के रखते हैं, सूरत-ऐ-हया

 तोहफ़ा मोहब्बत का यूँ सँजो के रखते हैं,
सूरत-ऐ-हया की दिल में मूरत रखते हैं..!

धूल कितनी भी जमी हो यादों की किताब पर,
हटाने पर चेहरे की चमक को तकते हैं..!

पूजते हैं प्रेम को निःस्वार्थ के जो भाव से,
खुशियों को खुद के करीब फिर वो रखते हैं..!

मर जाते हैं एक दिन दुनियाँ में प्रेमी सभी,
पर प्रेम को अमरता का पात्र ही समझते हैं..!

©SHIVA KANT
  #tohfa_mohobbat_ka