यादों के गहरे बादल देखो फिर आँखों में घिर आए हैं फिर वैसी ही मदहोशी है फिर सावन के दिन आए हैं कोयल की वो कूक सुहानी आँगन में फैला वो पानी मस्ती में डूबा वो बचपन सब बरबस ही याद आए हैं इंद्रधनुष सा सोलवां सावन अब भी आँखों में तैर रहा प्यार भरी बाहें फैलाये फिर सावन के मेघ बुलाने आए हैं बारिश के बौछारों सी फिर याद तुम्हारी बरस रही आँखों में ख़ुशियों के बादल मेघदूत बन आए हैं अब तो बारिश में आँगन से ज्यादा मन अपना भर आता है बचपन की वो हँसी ठिठोली कागज़ की नावों में रख आए हैं #यादों_के_बादल #awardedby_thoughtsnink