बचपन और रूठना दोनों का बहुत ही गहरा लगाव था बात बात पर कट्टी हो जाती थी पर कुछ समय बाद फिर सबकुक सामान्य पर आज किसी से रूठते हैं तो कट्टी नही होती बस रास्ते अलग अलग हो जाते हैं कितनी बार सोचते हैं कि वो बचपन कितना हसीन था कुछ भी नही था पास में पर सबकुछ था आज सबकुछ है पर कुछ भी नही के बराबर #आज_और_बचपन