नज़र भर नज़र से नजरों को चुराया हैं। मोहब्बत की शा

नज़र भर नज़र से नजरों को चुराया हैं।
मोहब्बत की शाम में ये चांद भी शरमाया है ।
कुछ खोए है हम भी अपनी ही मोहब्बत में ,
की 
खुद से खुद का दिल लगाया है ।

©Bhagyashree Rawat
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