" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये , तेरे बातों का अब कौन सा हिसाब रखा जाये , जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है , इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये , दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे , तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे , फितरतन तेरा ज़िक्र होता ही है , कहीं कोई इसका अंदाज ना बदले , ताउम्र रहे मैं इस आरज़ू में कहीं कोई और जुस्तजू ना रखा जाये . " --- रबिन्द्र राम Pic: pexels.com " अब याद नहीं क्या याद रखा जाये , तेरे बातों का अब कौन सा हिसाब रखा जाये , जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है , इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये , दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे , तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे ,