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" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये , तेरे बातों का अब

" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये ,
तेरे बातों का अब‌ कौन सा हिसाब रखा जाये ,
जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है ,
इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये ,
दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे ,
तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे ,
फितरतन तेरा ज़िक्र होता ही है ,
कहीं कोई इसका अंदाज ना बदले ,
ताउम्र रहे मैं इस आरज़ू में कहीं ‌कोई और जुस्तजू ना रखा जाये . "

                                     --- रबिन्द्र राम Pic: pexels.com

" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये ,
तेरे बातों का अब‌ कौन सा हिसाब रखा जाये ,
जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है ,
इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये ,
दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे ,
तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे ,
" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये ,
तेरे बातों का अब‌ कौन सा हिसाब रखा जाये ,
जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है ,
इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये ,
दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे ,
तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे ,
फितरतन तेरा ज़िक्र होता ही है ,
कहीं कोई इसका अंदाज ना बदले ,
ताउम्र रहे मैं इस आरज़ू में कहीं ‌कोई और जुस्तजू ना रखा जाये . "

                                     --- रबिन्द्र राम Pic: pexels.com

" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये ,
तेरे बातों का अब‌ कौन सा हिसाब रखा जाये ,
जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है ,
इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये ,
दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे ,
तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे ,