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खुद के पंख फैलाकर उड़ान भर के तो देख... यूंही अंध

खुद के पंख फैलाकर 
उड़ान भर के तो देख...
यूंही अंधेरों में अपने आप को ना समेत 
कोई नही आयेगा सामने से हाथ थामने यूंही 
अपने बितर की प्रेरणा को जागृत करके तो देख ...
बस वहीं से मिटने लगेंगे तेरे जीवन के अंधेरे तू अपने मन में बसे काले बादलों  पर सूरज की रोशनी को महसूस करके तो देख ...
मिल जायेगा तूझे वो साहिल जिसपे खिलता रहेगा प्रकाश का हमेशा उजावला 
तू खुद को खुद से मिलाके तो देख ।।

©varsha khanwani #nayi umeed
खुद के पंख फैलाकर 
उड़ान भर के तो देख...
यूंही अंधेरों में अपने आप को ना समेत 
कोई नही आयेगा सामने से हाथ थामने यूंही 
अपने बितर की प्रेरणा को जागृत करके तो देख ...
बस वहीं से मिटने लगेंगे तेरे जीवन के अंधेरे तू अपने मन में बसे काले बादलों  पर सूरज की रोशनी को महसूस करके तो देख ...
मिल जायेगा तूझे वो साहिल जिसपे खिलता रहेगा प्रकाश का हमेशा उजावला 
तू खुद को खुद से मिलाके तो देख ।।

©varsha khanwani #nayi umeed