मंजूर है हमें हर अंज़ाम अपने इश्क़ का। हमें तो होना है सरताज दिल के तख्त का। डूब जाना ही इस दरिया में ज़िंदगी का सबब, अब उसकी हर साँस किस्सा मेरी नज़्म का मिले चाहे दर्द दिल को या तोहफा तन्हाई का, उसके इश्क़ को बना इबादत काम हर हर्फ़ का। लेकर कुछ लम्हें उधार हमें उसके साथ जीने है करना है इजहार उनसे अहल-ए-दर्द-ए-दिल का •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - ५ •●• 《चैलेंज: १२》 कोलाॅब कीजिए और ४-८ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। और अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १६ पंक्तियों में अनुशीर्षक में लिखें। ( अनुशीर्षक में लिखने के लिये कोई भी बाध्यता नहीं है। ) आपकी पृष्ठभूमि की पंक्तियों को आप अनुशीर्षक में दोहरा सकते हैं। अनिवार्य हैशटैग: