जो रुका है वो ठहराव नही है जमा रहा है मुझको वो जिसे उठाया अपने हाथों से था अब झुका रहा है मुझको वो। अब पहाड़ भी मुझ पर हंसते हैं शायद कोई ताने मे गिरा देते है पत्थर राहों मे जैसे लगे हो मुझे गिराने मे। यूं ही बैठी हूं बेमंजिल मुझे डर है इस वीराने से कोई बादल मुझ पर भी बरसे भले ही सावन के बहाने से। #shortlyhuge#nojotopost #nojotohindi#kavishala your pain can either be a lament or a poem😊