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उन्हें मिलना था ( ऐसे तो नहीं मिल पाते प्यार करने

उन्हें मिलना था

( ऐसे तो नहीं मिल पाते प्यार करने वाले परिस्थिति को भेंट चढ़ा देते बेइंतहां प्यार को,पर उन्हें मिलना था)

एक प्रेम कथा

अनुशीर्षक में वो उड़ना चाहती थी,पर पता नहीं था कितनी दूर तक, उड़ने के बाद ठहरते केसे है, कोन से दिशा में जाना होता है और सबसे ज्यादा जरूरी की मंजिल कहां होती है।जिंदगी को देखने की कुछ अलग नजरिया उसकी परन्तु जिंदगी ही उसको बार बार टटोल रही थी और निचोड़ रही थी उसकी अंदर छुपी बचि कूची हिम्मत को। हालाकि उसको हम एक बदनसीब या बिचारी नहीं बोल सकते हैं क्यूं की उसकी दुःख की एक कुटीर उसी के मन की सहर पर था जो धीरे धीरे पक्का घर बनते जा रहा था।और दुःख की नाम की चिड़िया होती हीं नहीं,हम खुद उसे आकार दे कर,उसमें भय और आश
उन्हें मिलना था

( ऐसे तो नहीं मिल पाते प्यार करने वाले परिस्थिति को भेंट चढ़ा देते बेइंतहां प्यार को,पर उन्हें मिलना था)

एक प्रेम कथा

अनुशीर्षक में वो उड़ना चाहती थी,पर पता नहीं था कितनी दूर तक, उड़ने के बाद ठहरते केसे है, कोन से दिशा में जाना होता है और सबसे ज्यादा जरूरी की मंजिल कहां होती है।जिंदगी को देखने की कुछ अलग नजरिया उसकी परन्तु जिंदगी ही उसको बार बार टटोल रही थी और निचोड़ रही थी उसकी अंदर छुपी बचि कूची हिम्मत को। हालाकि उसको हम एक बदनसीब या बिचारी नहीं बोल सकते हैं क्यूं की उसकी दुःख की एक कुटीर उसी के मन की सहर पर था जो धीरे धीरे पक्का घर बनते जा रहा था।और दुःख की नाम की चिड़िया होती हीं नहीं,हम खुद उसे आकार दे कर,उसमें भय और आश