Nojoto: Largest Storytelling Platform

वैसे सोशियल मिडिया हो या कोई अन्य माध्यम हो, कविता

वैसे सोशियल मिडिया हो या कोई अन्य माध्यम हो, कविता हो या कोई लेख हो, हर जगह हमने जितना "माँ" के लिए लिखा है उतना हम अपने "बाप" के लिए नही लिखते, क्योंकि केवल भारत ही नहीं विश्व भर में कई जगह पुरुष ही प्रधान है, परंतु यदि पुरुष प्रधान है तो स्त्री का प्रधान होना भी उतना ही आवश्यक है, वास्तव में हमारे आसपास हर एक के विरुद्ध एक होता ही है, फ़िर वो वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो या फ़िर समाजिक दृष्टिकोण, वैसे ख़ासतौर पर मुझे नही लगता कि हम सभी को स्त्री या पुरुष में कोई भेद करना चाहिए, परंतु वास्तविक तौर पर स्वयं भगवान ने ही भेद किया है, मगर वर्तमान में, हम लोग जो स्त्री एवं पुरुष में भेद कर रहे है, वह भेद की पराकाष्ठा है, हम सभी संतुलन को बिगाड़ रहे है, समाज में जितनी ज़रूरत पुरुष की है उतनी ही ज़रूरत स्त्री की भी है, अब वह समय आ गया है कि हम सभी को, समाज में संतुलन एवं सामंजस्य बैठाने की नितांत आवश्यकता है, कहने का तात्पर्य बस इतना है कि, स्त्री-पुरुष, मां-बाप या बेटा-बेटी में किसी एक को भी इतना महान मत बना दो की, सामाजिक ताना-बाना बिगड़कर असंतुलित हो जाए।

©अदनासा-
  #हिंदी #संतुलन #सामंजस्य #समाज #स्त्रीपुरुष #बेटाबेटी #मांबाप #Facebook #Instagram #अदनासा