डुबायें क्यूँ न ,खुद को हम ,शराब में मिली नफरत ,हमें इश्के-जवाव में पढ़ी थीं मोहब्बतें आयतें समझ मिलेगा लफ्ज ना अब ये किताब में परखने से जियादा हम निरखा किये कमी कुछ रह गयी शायद हिसाब में भरा गोदाम खाली आज कर दिया बिकी जागीर दिल की कोड़ी भाव में न महकेगा कभी ये गुले दोस्त सुन लगा कीड़ा कि अब खिलते गुलाब में sapna manglik #shayri# broken heart