डुबता नहीं सुरज,डुबाए बदलो के, ईन लम्हों का अंधेरा, एक झूटी पर्दादारी है! ऊंची मंज़िल, कठिन सफर है , तीर-तलवार खिलौने है ! होगी जीत हौसलों की , अभी कहा हिम्मत हारी है । बागों का ये फूल है , ना मुर्झा सकता तूफानों से, खिलेगा हर हाल में, आखिर कई भंवरो की जिम्मेदारी है ।। ©Harshit singh thakur #mynation #myindia #bhara #India