दिलकी सुनू अबके या फिर दिलमें ही रहूँ.. बहते पानीसा हूँ मैं क्या बस बहता ही रहूँ.. जलतें रहता हैं एक दरिया दिलके अंदर सतह पर औऱ कितनीं खामोशियाँ उसके लाक़े रखूँ.. कितना ग़ुमराह दुनियां को झूठी मुस्कुराहटसे करू.. सुलगते जज़बात कितनें हैं यहाँ क्यों अकेलेमें जलूँ.. कितनें खामियां निकालतें हैं औऱ कितनीं सादग़ी पालू.. राँझना आशना वो पिघलाता हैं ज़िस्मसे कबसे कैसे रोकूँ.. खुदबखुद लाक़े लग़ाम इसपे रोके रखना मुमक़िन नहीं.. हैं बेमुक़ाम फ़िरस्ती दिल फ़िरभी सुकूँ हैं बसता उसीमें.. दौड़कर मिलों न मिले फिर राँझना तुझसे क़भी क़ुर्बतमें.. मोमसा मेहसूस होता हैं अक़्स हरदफ़ा मेरा पिघले शाममें.. तू राँझना बन माचिसकी तीली जला जाता हैं फ़िरसे यादोंमें.. अकेलेमें ही बस्तियों जैसी हैं दुनियां मेरी दिल ही दिलमें.. कहने सुनने कोई नहीं लेकिन गुजारा यादों संग बेहतर लगता हैं.. ताश चंद यादोंको दांव पर लगाकर ख़ुदसे खेल लेतें हैं.. असूलोंने जिंदा रखीं हैं ज़िंदगी वैसे हमें तो मौतसेभी आशिक़ी हैं.. पिघलतें वादियोंमें सुलगतें दरियासंग धुंदली शाममें लिखना हैं.. लिखतें रखना हैं ख़ुदको बस जिंदगी और मौत के वस्ल तक..!! ©मी शब्दसखा दिलकी सुनू अबके या फिर दिलमें ही रहूँ.. दिलकी सुनू अबके या फिर दिलमें ही रहूँ.. #hindishayari #hindisahitya #hindipoetry #shayar #nojotohindi #writer #शायर #हिंदीकविता #latenightthoughts✍️💓🙏❣️