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है इबादत मेरी की पहुंच जाऊं एक दफ़ा बुलन्दियों के आ

है इबादत मेरी की पहुंच जाऊं एक दफ़ा बुलन्दियों के आसमान में...
फिर मैं वहां भी रोटी पहुंचा दूंगा ख़ुदा पहुंच नहीं पाता जिस मकान में....
लोगों ने रखे हुए हैं सिर्फ धारदार हथियार
मैं कुछ नहीं रखूंगा खुशियों के सिवा अपनी दुकान में.... है इबादत मेरी की पहुंच जाऊं एक दफ़ा बुलन्दियों के आसमान में...
फिर मैं वहां भी रोटी पहुंचा दूंगा ख़ुदा पहुंच नहीं पाता जिस मकान में....
लोगों ने रखे हुए हैं सिर्फ धारदार हथियार
मैं कुछ नहीं रखूंगा खुशियों के सिवा अपनी दुकान में....
है इबादत मेरी की पहुंच जाऊं एक दफ़ा बुलन्दियों के आसमान में...
फिर मैं वहां भी रोटी पहुंचा दूंगा ख़ुदा पहुंच नहीं पाता जिस मकान में....
लोगों ने रखे हुए हैं सिर्फ धारदार हथियार
मैं कुछ नहीं रखूंगा खुशियों के सिवा अपनी दुकान में.... है इबादत मेरी की पहुंच जाऊं एक दफ़ा बुलन्दियों के आसमान में...
फिर मैं वहां भी रोटी पहुंचा दूंगा ख़ुदा पहुंच नहीं पाता जिस मकान में....
लोगों ने रखे हुए हैं सिर्फ धारदार हथियार
मैं कुछ नहीं रखूंगा खुशियों के सिवा अपनी दुकान में....