बीते दिन महीने बीते बीत गए है साल, गर्मी में हम कैसे जीते , पूछा न मेरी हाल! की तेरे चमचे बने सैतान , न आया AC का फरमान ..... हम चीख-चीख कर बोल रहे है मिडिया बनी है मौन, साहब खाली गाल बजाते इन्हे बताये कौन, हम सोचे साहब भी अब मेरी बात समझने लगे है , AC वाली बात अब हर जगह जो करने लगे है ! पर क्या जाने साहब की बस लम्बी है जुबान ! की तेरे चमचे बने सैतान , न आया AC का फ़रमान..... तेरी बातें हम क्या अब सब लोग समझने लगे है , AC की वादे दे कर वादे से मुकरने लगे है ! अब तो तेरी बात भी लोगो को चुभने लगा है , सीधे-साधे कर्मचारी के वफ़ा को तुमने ठगा है ! अब लगता है जल्द बनेगी सत्ता तेरी समसान-2 की तेरी चमचे बने सैतान , न आया AC का फ़रमान...... 58'c की तपन से साहब शरीर थकने लगता है , सर से लेकर पावं तक सारे चेहरे जलने लगता है ! मल-मूत्र सब सुख जाते है पेट के अंदर दिन भर के , 'स्वच्छता' साहब कहते है मूल मन्त्र है जीवन के , इंजन में शौचालय बनवाने का क्या कोई विचार नहीं , इंजन में AC लगने का क्या कोई जुगाड़ नहीं , AC में हमको रहने का क्या मेरा अधिकार नहीं ! बिन AC के इंजन में क्या लोगे मेरी जान ..... की तेरे चमचे बने सैतान न आया AC का फरमान ...... :- संतोष 'साग़र' न आया AC का फरमान ...... Nojoto News