#रुख़्सत वक़्त रुख़्सत का हमको बताती नहीं ज़िन्दगी रुख़ से परदा हटाती नहीं । इश्क़ लमहों से करना हमें आ गया सिफ़्त सदियों का क्यूं नज़र आती नहीं। हौसिला है औ जज़्बात भी है निहां दिल ओ जां इसे डर से लुटाती नहीं। सांस चलती भी हो दिल मचलता भी हो बात फ़ुरसत से हमको सिखाती नहीं। इस मुहब्बत को हम कौन सा नाम दें अलविदा का वो घूँघट उठाती नहीं। कब तलक का सफ़र मुझे कहाँ है खबर मंजिलें अपनी सूरत दिखाती नहीं। © Sj..✍ #शुभाक्षरी