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Clean India साँस लेने को तड़प रही है सबसे झड़प रह

Clean India साँस लेने को तड़प रही है 
सबसे झड़प रही है 
मनुष्य उसी में 
कपड़े धोता ,पशु धोता ,सब कुछ धोता पर  
अपने मन का मैला कभी न धोता 
बस कहने को वो माँ है होती 
प्राणवायु पानी की आँखे 
नमक के आँसु रोती।

रुठी है गंगा मैया 
तेरी झूठी प्रेम से
कर रही है  तांडव हर डगर
घर हो रहे है ढेर हर नगर
पिघल रही है बर्फ 
पिघल रही है इग्लू 
बचाएँ अकेली गंगा मैया का हे आसरा 
आखिर यही है  मनुजों के जिंदगी का बसेरा। ।
                                         - अशिवन कुमार प्रदूषण
Clean India साँस लेने को तड़प रही है 
सबसे झड़प रही है 
मनुष्य उसी में 
कपड़े धोता ,पशु धोता ,सब कुछ धोता पर  
अपने मन का मैला कभी न धोता 
बस कहने को वो माँ है होती 
प्राणवायु पानी की आँखे 
नमक के आँसु रोती।

रुठी है गंगा मैया 
तेरी झूठी प्रेम से
कर रही है  तांडव हर डगर
घर हो रहे है ढेर हर नगर
पिघल रही है बर्फ 
पिघल रही है इग्लू 
बचाएँ अकेली गंगा मैया का हे आसरा 
आखिर यही है  मनुजों के जिंदगी का बसेरा। ।
                                         - अशिवन कुमार प्रदूषण
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