प्यारे समुद्र मैदान जिन्हें नित रहे उन्हे वही प्यारे मुझको तो हिम से भरे हुए अपने पहाड़ ही प्यारे हैं पांवो में बहती है नदिया करती सुतीक्षण गर्जन ध्वनियां माथे के ऊपर चमक रहे नभ के चमकीले तारे हैं... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख