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आखिरी ख़त (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) रुद्र, रुद्र म

आखिरी ख़त
(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) रुद्र,
रुद्र मैंने यह खत तुम्हें इसलिए नहीं लिखा कि एक बार फिर तुमसे यह कह सकूं कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, न अपनी कमी का एहसास दिलाना है तुम्हें।

अजीब बात है न रुद्र जब मैं तुमसे प्यार करती थी, तब तुम्हें मेरे प्यार पर विश्वास ही नहीं था। याद है तुम्हें.... वो क्या कहा था तुमने.."महज आकर्षण को प्यार का नाम ना दो तुलसी, आज मुझे चाहा है पर कल किसी और को चाहोगी"। सच मानो रुद्र इतना दर्द तब नहीं हुआ था जब तुमने मेरे प्यार को "महज़ आकर्षण का नाम दिया था"।
तक़लीफ तो तब हुई थी जब मैंने तुम्हारा प्यार
आखिरी ख़त
(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) रुद्र,
रुद्र मैंने यह खत तुम्हें इसलिए नहीं लिखा कि एक बार फिर तुमसे यह कह सकूं कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, न अपनी कमी का एहसास दिलाना है तुम्हें।

अजीब बात है न रुद्र जब मैं तुमसे प्यार करती थी, तब तुम्हें मेरे प्यार पर विश्वास ही नहीं था। याद है तुम्हें.... वो क्या कहा था तुमने.."महज आकर्षण को प्यार का नाम ना दो तुलसी, आज मुझे चाहा है पर कल किसी और को चाहोगी"। सच मानो रुद्र इतना दर्द तब नहीं हुआ था जब तुमने मेरे प्यार को "महज़ आकर्षण का नाम दिया था"।
तक़लीफ तो तब हुई थी जब मैंने तुम्हारा प्यार