फूलो की खुश्बू और दिल की कलम से वो भी लिखना चाहता था पैगाम , लेकिन शहादत के घोड़े और मौत थी बेलगाम, बस जय हिंद ही लिख पाया वो सरहद का रखवाला बाकी खाली पड़ा था वो पत्र तमाम चलो ऐसे वीरो को दिल से करे सलाम । वादा किया था उसने , कि तेरे बाद पूरी उम्र वो एक वीरांगना की तरह बिताएगी, मिटा दी जो मेहंदी शहादत ने , तेरे नाम की मेहंदी ही जीवन भर लगाएगी , एक वीरांगना की मेहंदी है साहेब ऐसे कैसे मिट जाएगी । ऐसी हर वीरांगना को हर दिल करता है दिल से सलाम, जो एक शहीद के नाम पर बिता दे उम्र तमाम । -----संजय कौशिक " सत्येन " #मेहंदी वीरांगना की