जींदगी का सफर सुरु हुआ बचपन से , सहलाया सबने बचाने को आने वाले डर से।लगा था सारी उमर रहेंगे ऐसे ही लाडले , मगर आगे चलके बतॉव सबके लगे बदले। बचपन में थोडी शरारती , मस्तानी मन से, बडी हुई तो सवाल कुछ आऐ यूं मन मे। सपने जो देखे ,क्या पूरे हो पाएगें सच मे? या फीर ख्व़ाब यू ही रेह जाऐंगे मन मे।। कुछ करना है , अपनो का सर गवँ से ऊचां करने के लीए । जो ख्व़ाबो मे देखा है , उसे हकी़कत बनाने के लीए ।। मगर रास्ता आसान नहीं है मेरे लीए, जबके मंजील बाहे खोल रही है , स्वागत के लीए ।। मंजील तक का सफ़र आसान होता, अगर साथ अपनो का मीलता ।। दील न घबराता , दूर होती सारी चींता। सवाल हर बार यही आता है मन मे , क्या कर पाऊँगी कुछ अपने लीए जीवन मै? - Fatema lakhvala #dreamsforlife .. #reality