प्रेम का आगाज दो दिन पुरानी बात है जैसे बरसों का साथ है मन की उलझन है कैसे बताऊं चंचल तो उसका मन है तस्वीर देख मन में ये कैसी हलचल है बच्चों सी मुस्कान है उस पर लुटता जहान है गुलाब से उसके जो होठ है सर्दी में मखमली कोट हैं काजल से भरी आँखें हैं आंखों में एक राज है राज में कुछ नशा सा है उसकी खनकती चूड़ियां मिटाती हैं दूरियां ये जो उसके झुमके है क्यूं मुझसे छुपते हैं इन्हें क्या पता इनके घुंगुरुओं से मेरे मन के तार छिड़ते हैं सुलझे बालों में उसकी उलझी उंगलियां मेरे सब्र का इम्तेहान लेती हैं उसकी ये नज़रें मुझे घायल कर देती हैं.. छाया कैसा ये खुमार है शायद यही प्यार का इकरार है.... ©Ashutosh jain #Rose . . . . . #poetrycommunity #writingcommunity #poetryisnotdead #poetsofig #writersnetwork #bymepoetry #igpoets #poemsofinstagram #micropoetry