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कैसे मारोगे मुझे. पुतला बनाकर.याअपने भीतर मुझे छुप

कैसे मारोगे मुझे.
पुतला बनाकर.याअपने भीतर मुझे छुपाकर.
जब जब घंमन्ड करते हो क्रोध में 
पर नारी पर कुदृष्टि डालते हो
तब मैं तुम्हारे भीतर बैठा मुस्कुराता
रहता हूं।
मुझे पता है तुम सब रामायण पढ़ने का 
नाटक कर.मां बाप को अपमानित
कर अपनेहीभाईयोंं से झगड़ते हो
तो मैं समझ जाता हूं
मार दिया है आप लोगों ने अपने भीतर बैठे राम को।
अपना लिया है मेरी संस्कृति को
इसीलिए मैं सर्वत्र व्याप्त हूं।
अहंम लंकैश

मार दिया तुमने क्या
रावण

जगदीश निरालाःमांगरोल रावण बोला
कैसे मारोगे मुझे.
पुतला बनाकर.याअपने भीतर मुझे छुपाकर.
जब जब घंमन्ड करते हो क्रोध में 
पर नारी पर कुदृष्टि डालते हो
तब मैं तुम्हारे भीतर बैठा मुस्कुराता
रहता हूं।
मुझे पता है तुम सब रामायण पढ़ने का 
नाटक कर.मां बाप को अपमानित
कर अपनेहीभाईयोंं से झगड़ते हो
तो मैं समझ जाता हूं
मार दिया है आप लोगों ने अपने भीतर बैठे राम को।
अपना लिया है मेरी संस्कृति को
इसीलिए मैं सर्वत्र व्याप्त हूं।
अहंम लंकैश

मार दिया तुमने क्या
रावण

जगदीश निरालाःमांगरोल रावण बोला