नई सहर है , नई बात है , नया चलो कुछ करते हैं सहरा के दामन को जाकर रंग नदिया से भरते हैं पेड़ों के संग मिलकर, हम तुम, बुनते हैं एक सपना हर ऊसर को उपवन कर दे मान के हिस्सा अपना नंगे खड़े पहाड़ तप रहे, दुःख उनका कुछ हरते हैं सहरा के दामन को जाकर रंग नदिया से भरते हैं धरा के सीने में चल रोपें फिर शबनम की धारा पानी के पैर पर पुश्ते बाँधे और बो दें फिर सारा बूँद बूँद फिर, कतरा कतरा, जड़ों जड़ों में झरते हैं सहरा के दामन को जाकर रंग नदिया से भरते हैं हरी घास फिर तारी हो, धरती फिर फुलवारी हो फूलों की फिर बारी हो,और सारी की सारी हो बीत कल तो जला दिया आने वाला तरते हैं सहरा के दामन को जाकर रंग नदिया से भरते हैं @ नया कुछ ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #mkpikb #Hope #green_earth #tomorrow #legacy #environment