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ग़ज़ल चांद हैरां है जमीं खामोश है। उसका दामन है

ग़ज़ल  

चांद हैरां है जमीं खामोश है।
उसका दामन है मेरी आगोश है। 

कुछ गुनाहों को सदा दी प्यार ने 
बेकरारी में किसे अब होश है।

खुश्बू खुश्बू हो गया मेहमां मेरा 
फूल, पत्ता, हर कली मदहोश है। 

रुत है सावन की फुहारें प्यार की 
इस चमन से उस चमन तक जोश है।

मुंद गई आंखें जवां जज़्बात से 
लब से लब तक मय ही मय का नोश है। 

बहकी-बहकी लग रही है ये फिज़ा
ज़र्रा-ज़र्रा हो गया बेहोश है। 
***
मनजीत शर्मा 'मीरा' चांद हैरां है झील खामोश है 😊
ग़ज़ल  

चांद हैरां है जमीं खामोश है।
उसका दामन है मेरी आगोश है। 

कुछ गुनाहों को सदा दी प्यार ने 
बेकरारी में किसे अब होश है।

खुश्बू खुश्बू हो गया मेहमां मेरा 
फूल, पत्ता, हर कली मदहोश है। 

रुत है सावन की फुहारें प्यार की 
इस चमन से उस चमन तक जोश है।

मुंद गई आंखें जवां जज़्बात से 
लब से लब तक मय ही मय का नोश है। 

बहकी-बहकी लग रही है ये फिज़ा
ज़र्रा-ज़र्रा हो गया बेहोश है। 
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मनजीत शर्मा 'मीरा' चांद हैरां है झील खामोश है 😊