उनकी यादों के सहारे जज्बातों की अंगड़ाई लेते हुए बेबाक उनकी नाज़ुक कलाईयों को पकड़कर मैनें धीरे से जो अपनी ओर खींचा कि वो भी शरमाये से, घबराए से, हमसाये से अपनी पलकों के परदे को धीरे से उठा गए और जैसे ही नजरों से नजरें टकराईं कि वहीं उसी पल, एक अचूक निशाना इश़्क का साधा गया ऐहसासों की ओस में लपेटकर, उस अचूक निशाने ने नए पैमाने को जन्म दिया और उसका उससे ज्यादा मुझमें होना मुकम्मल किया। #अचूकनिशाना #YQdidi अचूक निशाना लगते ही मुकम्मल इश़्क हुआ यारा तेरी सरगोशी में बाबस्ता मेरा होना भी तेरा ही होना था। 😘❤️