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खुदा ! रहमत का दर कब खोलता है आखिरी, कब तक नजर क

खुदा ! 
रहमत का दर कब खोलता है आखिरी, 
कब तक नजर को बिन झुका तकता रहूँ। 

कभी तो मुफ्लिसो पर रहम कर, मेरे खुदा, 
मैं झोली कब तलक करता रहूँ।

©Senty Club and Studios
  #Childhood #poem #Poet