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बहुत आजमाया है जिंदगी ने मुझे अब मैं जिंदगी को आजम

बहुत आजमाया है जिंदगी ने मुझे
अब मैं जिंदगी को आजमाना चाहती हूं।

समझ चुकी हूं तेरा हर पैंतरा मैं अब
मैं ये जिंदगी को समझना चाहती हूं।

डरती नहीं हूं जमाने की बंदिशों से मैं
अब हर बंदिश को तोड जाना चाहती हूं।

बहुत जी लिए यहां डर डर के हम
अब में हर डर से जीत जाना चाहती हूं।

जिंदगी अब तू बता तेरी मर्जी है क्या
अब तेरी हर रजा का में हिसाब चाहती हूं।

©maher singaniya ए जिंदगी में तुझे आजमाना चाहती हूं...
बहुत आजमाया है जिंदगी ने मुझे
अब मैं जिंदगी को आजमाना चाहती हूं।

समझ चुकी हूं तेरा हर पैंतरा मैं अब
मैं ये जिंदगी को समझना चाहती हूं।

डरती नहीं हूं जमाने की बंदिशों से मैं
अब हर बंदिश को तोड जाना चाहती हूं।

बहुत जी लिए यहां डर डर के हम
अब में हर डर से जीत जाना चाहती हूं।

जिंदगी अब तू बता तेरी मर्जी है क्या
अब तेरी हर रजा का में हिसाब चाहती हूं।

©maher singaniya ए जिंदगी में तुझे आजमाना चाहती हूं...