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छोटी सी ज़िन्दगी में बड़े से ख़्वाब थे मेरे लड़की

छोटी सी ज़िन्दगी में बड़े से ख़्वाब थे मेरे 
लड़की कमज़ोर नहीं , मज़बूत थी में 

बस ज़रा सी मेरी ही गलती थी , हद से 
ज्यादा अहमियत मैने ही उसे दे कर रखी थी

अपने सपनों को सब्र देकर, उसके सपनों
को अपनी आंखों से देखने की चाह थी मेरी,

में कमज़ोर नहीं थी , पर कदम से कदम मिलाकर 
चलने की कसमें वादे निभा रहीं थीं 

जज़्बात मेरे सस्ते नहीं थे, पर रिश्तों की अहमियत 
मेरे लिए आस्था थी, पर शायद उस इंसान पर जज़्बात 

लुटा दिए थे,जो इसके काबिल नहीं था ,
कहना चाहा था, रहनुमा जिसे वहीं मेरा गुनहगार था

औरत को कमज़ोर कहने वाला, वह खुद छोटी
सोच का गुलाम था,पर अपमान की झंकार मेरे कानो में थी
बार बार अस्तित्व पर पड़ी चोट ने मुझे तोड़ दिया 
जिंदगी मेरी बदतर अपनो ने की थी, सिसकियां भी

मेरी मेरे कानों में शोर सी थी , हा मैने अपनी ज़िंदगी
की ज्योति साबरमती में बुझादी, हार चुकी हूं अब ,

जाते जाते इक बात जरूर कहुगी , प्यार दो तरफा कर
लेना इक तरफा कभी नहीं ,ताकि फिर कोई आयशा 

अपने ही हाथों ,अपनी ही ज्योति बुझाने की मजबूर ना हो

©nensi gangele #आयशा sucide case
#nojoto poetry
#justice or आयशा

#standAlone
छोटी सी ज़िन्दगी में बड़े से ख़्वाब थे मेरे 
लड़की कमज़ोर नहीं , मज़बूत थी में 

बस ज़रा सी मेरी ही गलती थी , हद से 
ज्यादा अहमियत मैने ही उसे दे कर रखी थी

अपने सपनों को सब्र देकर, उसके सपनों
को अपनी आंखों से देखने की चाह थी मेरी,

में कमज़ोर नहीं थी , पर कदम से कदम मिलाकर 
चलने की कसमें वादे निभा रहीं थीं 

जज़्बात मेरे सस्ते नहीं थे, पर रिश्तों की अहमियत 
मेरे लिए आस्था थी, पर शायद उस इंसान पर जज़्बात 

लुटा दिए थे,जो इसके काबिल नहीं था ,
कहना चाहा था, रहनुमा जिसे वहीं मेरा गुनहगार था

औरत को कमज़ोर कहने वाला, वह खुद छोटी
सोच का गुलाम था,पर अपमान की झंकार मेरे कानो में थी
बार बार अस्तित्व पर पड़ी चोट ने मुझे तोड़ दिया 
जिंदगी मेरी बदतर अपनो ने की थी, सिसकियां भी

मेरी मेरे कानों में शोर सी थी , हा मैने अपनी ज़िंदगी
की ज्योति साबरमती में बुझादी, हार चुकी हूं अब ,

जाते जाते इक बात जरूर कहुगी , प्यार दो तरफा कर
लेना इक तरफा कभी नहीं ,ताकि फिर कोई आयशा 

अपने ही हाथों ,अपनी ही ज्योति बुझाने की मजबूर ना हो

©nensi gangele #आयशा sucide case
#nojoto poetry
#justice or आयशा

#standAlone