न समझो थक गया हूं मैं कि आग अभी बाक़ी है.. न बुझेगी ये शमा के चराग अभी बाक़ी है.. फ़कत चले हैं कदम चन्द ही अभी रूआब में.. निगाहें पाक उस मुर्शिद का आफताब अभी बाक़ी है.. ✍️@ksh.. क्षितिज "अभिव्यक्ति" ©क्षितिज कुमार पाण्डेय #क्षितिजअभिव्यक्ति #kshquotes