पहली बरसात की बूंदे मन को ठंडक ना देकर, मन सुलगा गई काश! वो पिछली बारिश के लम्हें फिर से लोट आए मुझे जाना था कहीं, या उसे बुलाना था कहीं। पहली बरसात में मिलने का, बहाना था कहीं।। 👉अब आपने पहली बरसात में क्या क्या बहाने बनायें, आओ आज उन्हें ही लिख जायें।। कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :- #collabwithकाव्यपथिक #पहलीबरसात #काव्यपथिक