के अब तो ज़िन्दगी भी मुझसे दग़ा करने को चली है जो ग़लती मैंने की ही नहीं है उसके लिए मुझे सज़ा देने को चली है।। के अब तो धुआं धुआं सा हो गया है जल के सारे एहसास ज़िन्दगी मुझे आग से बचने के मशवरा देने चली है।। #zindagi#saza#mashwara#qdidi #qbaba