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"कर्तव्य-पथ" गुम्बद पे तो सबकी नजर पड़े नींव के पत्

"कर्तव्य-पथ"
गुम्बद पे तो सबकी नजर पड़े
नींव के पत्थर तो रह गए गड़े के गड़े

कितने ही तूफ़ां राह रोके है अड़े
लहूलुहान हम भी सीना तान खड़े के खड़े

काम काम होने पे यहाँ रिश्ते है बदलते बदलते
देर लगी हमे तो ये बात समझते समझते

चढ़ रहा था वो कांधों पे पग रख रख के
गिर रहा था उसका ईमान हँस हँस के

गुलाब के यहाँ सब  मुरीद है बड़े
कांटों का क्या जो जीवन भर रखवाली में खड़े

बने वो, दिये जो दिवाली में खिले
हम वो जो शहीदों की मज़ारों में जले।
।। विकास ।। आज की कविता #कर्तव्यपथ#
"कर्तव्य-पथ"
गुम्बद पे तो सबकी नजर पड़े
नींव के पत्थर तो रह गए गड़े के गड़े

कितने ही तूफ़ां राह रोके है अड़े
लहूलुहान हम भी सीना तान खड़े के खड़े

काम काम होने पे यहाँ रिश्ते है बदलते बदलते
देर लगी हमे तो ये बात समझते समझते

चढ़ रहा था वो कांधों पे पग रख रख के
गिर रहा था उसका ईमान हँस हँस के

गुलाब के यहाँ सब  मुरीद है बड़े
कांटों का क्या जो जीवन भर रखवाली में खड़े

बने वो, दिये जो दिवाली में खिले
हम वो जो शहीदों की मज़ारों में जले।
।। विकास ।। आज की कविता #कर्तव्यपथ#
vickysharma3971

Vikas sharma

Silver Star
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