तेरे शहर में आकर हमने न जाने क्या क्या लुटाएं थे। बेमतलबी उम्मीदों के ईंट से... तेरे शहर में एक छोटा-सा हम आसीयां बनाएं थे। बेदर्दी इसे ढाहे है तुमने... अब हमारे हिस्से में टूटे जज़्बातों के हिस्से आएं हैं। चलों सम्भालो खुद को... अब हम भी इसे तोड़ने में तुम्हारा हाथ बंटाने आएं हैं। ~~शिवानन्द #तेरा_शहर #दिल_का_आशियाना #दिल #हिज़्र #इश्क़ #yqbaba #yqdidi #yqquotes