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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”

*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“23/1/2022”*📚
🖋️ *“रविवार”* 🌟

“जीवन” में जब भी “प्रेम की बात” आती है तो “लोग” किसी का “चेहरे” स्मरण कर लेते है,
ऐसी “आँखें”,वैसी “मुस्कान”,“घने बाल” 
लेकिन क्या ये ही “प्रेम का अस्तित्व” है 
जिसे हमारी “आंखों” 
ने देखा और हमने “स्वीकार” कर लिया,
परंतु “प्रेम” भिन्न है,
“प्रेम” उस “वायु की भांति” है जो हमें “दिखाई” नहीं देती है किंतु वहीं हमें  “जीवन” भी देती है, “संसार” कभी भी किसी भी “स्त्री” को “क्रूर” कह सकता है,क्योंकि वह उसे “तन की आखों” से देखता है,परंतु संसार उसी “माता” को सबसे “सुंदर” समझता है क्योंकि वो “भाव” से जुड़ी है,
“तन की आंखों” से देखोगे 
वैसे “पहचान” नहीं पाओगे,
इसलिए यदि “प्रेम” को समझना है 
तो “मन की आंखों ” से देखिए...
*अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“23/1/2022”*📚
🖋️ *“रविवार”* 🌟

*“जीवन”* 

*“प्रेम की बात”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“23/1/2022”*📚
🖋️ *“रविवार”* 🌟

“जीवन” में जब भी “प्रेम की बात” आती है तो “लोग” किसी का “चेहरे” स्मरण कर लेते है,
ऐसी “आँखें”,वैसी “मुस्कान”,“घने बाल” 
लेकिन क्या ये ही “प्रेम का अस्तित्व” है 
जिसे हमारी “आंखों” 
ने देखा और हमने “स्वीकार” कर लिया,
परंतु “प्रेम” भिन्न है,
“प्रेम” उस “वायु की भांति” है जो हमें “दिखाई” नहीं देती है किंतु वहीं हमें  “जीवन” भी देती है, “संसार” कभी भी किसी भी “स्त्री” को “क्रूर” कह सकता है,क्योंकि वह उसे “तन की आखों” से देखता है,परंतु संसार उसी “माता” को सबसे “सुंदर” समझता है क्योंकि वो “भाव” से जुड़ी है,
“तन की आंखों” से देखोगे 
वैसे “पहचान” नहीं पाओगे,
इसलिए यदि “प्रेम” को समझना है 
तो “मन की आंखों ” से देखिए...
*अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“23/1/2022”*📚
🖋️ *“रविवार”* 🌟

*“जीवन”* 

*“प्रेम की बात”*
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Atul Sharma

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