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अँगूर की बेटी मैं अँगूर की बेटी हूँ सड़ती हूँ,गलती

अँगूर की बेटी

मैं अँगूर की बेटी हूँ
सड़ती हूँ,गलती हूँ
पैरों से मसली जाती हूँ 
भट्टियों में तपाई जाती हूँ
पोर पोर गल के,
क़तरा क़तरा रिस के,
आख़िरी बूंद तक,निचोड़ी जाती हूँ।
फ़िर बंद कर दी जाती हूँ
किसी बोतल या फ़िर किसी 
नक़्क़ाशीदार सुराही में।
मेरे इस मिट चुके वजूद से
अक़सर तुम शाम ढलते ही
अपनी हलक़ तो तर करते हो।
मेरे मिटने के बाद ही
तुम्हें सुरूर चढ़ता है
और तब.....
तुम्हारी ज़ुबाँ सच उगलती है
सिर्फ़ सच.........।
तब तुम्हारे आदम की खाल में
छिपा वहशियाना किरदार
सामने आता है
और तुम हव्वा के जाए
उसी पर हावी होने की 
कोशिश करते हो।
क्यों आख़िर......
यही बेटी की नियति होती है
चाहे आदम की हो या
अंगूर की.......।

अलका निगम
लफ्ज़ों की पोटली✍️✍️✍️
लखनऊ

©Alka Nigam #स्त्री #बेटियां #मदिरापान 

#freebird
अँगूर की बेटी

मैं अँगूर की बेटी हूँ
सड़ती हूँ,गलती हूँ
पैरों से मसली जाती हूँ 
भट्टियों में तपाई जाती हूँ
पोर पोर गल के,
क़तरा क़तरा रिस के,
आख़िरी बूंद तक,निचोड़ी जाती हूँ।
फ़िर बंद कर दी जाती हूँ
किसी बोतल या फ़िर किसी 
नक़्क़ाशीदार सुराही में।
मेरे इस मिट चुके वजूद से
अक़सर तुम शाम ढलते ही
अपनी हलक़ तो तर करते हो।
मेरे मिटने के बाद ही
तुम्हें सुरूर चढ़ता है
और तब.....
तुम्हारी ज़ुबाँ सच उगलती है
सिर्फ़ सच.........।
तब तुम्हारे आदम की खाल में
छिपा वहशियाना किरदार
सामने आता है
और तुम हव्वा के जाए
उसी पर हावी होने की 
कोशिश करते हो।
क्यों आख़िर......
यही बेटी की नियति होती है
चाहे आदम की हो या
अंगूर की.......।

अलका निगम
लफ्ज़ों की पोटली✍️✍️✍️
लखनऊ

©Alka Nigam #स्त्री #बेटियां #मदिरापान 

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