Mother's memories मैं सुख तालशने आया परदेश किसलिए इसी सवाल में उलझा हुआ हूं यारों मैं चार पैसे कमाने शहर आने को हुआ तो मां का तभी मुझसे मुंह छिपाकर के रोना ध्यान रखना बेटा अपना तू दुआ देकर फिर सर पटक-पटक मुझे विदा कर के रोना क्यों कदम रुके नहीं मेरे उस मां के लिए इसी सवाल में उलझा हुआ हूं यारों मैं मैं सुख तालशने आया परदेश किसलिए इसी सवाल में उलझा हुआ हूं यारों मैं नरेंद्र आतिश #mother's_#memories OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)