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Jai Shri Ram 1528 ईसवी से शुरू हुआ विवाद आखिरकार 2

Jai Shri Ram 1528 ईसवी से शुरू हुआ विवाद आखिरकार 2024 में समाप्त हुआ। 
आईये समझते हैं राम मंदिर के बारे में विस्तार से:👇

साल 1528: मुगल सम्राट मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। 

साल 1885: महंत रघुवरदास ने पहली बार फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद से लगे राम मंदिर निर्माण के लिए अपील दायर की। 

साल 1949: गुंबद के नीचे "रामलला" की मूर्ति प्रकट हुई और लोग उस स्थान पर पूजा करने लगे। 

साल 1950: गोपाल सिंह विषारद ने फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर कर के पूजा के अधिकार की मांग की और इस केस के बाद हिंदुओं को वहाँ पूजा करने का अधिकार मिला था। उसी वर्ष परमहंस रामचंद्र दास जी ने मूर्तियों को रखने एवं पूजा करने के लिए भी मुकदमा दायर किया था। और यहीं से राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई थी। 

साल 1959: निर्मोही अखाड़ा ने उक्त स्थल पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया। 

साल 1981: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया। 

साल 1986: 1 फरवरी 1986 को अदालत ने हिंदुओं को पूजा के लिए ताला खोलने का आदेश दिया। 

साल 1989: 14 अगस्त 1989 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को यथास्थिति बनाये रखने का आदेश जारी किया। 

साल 1992: 6 दिसम्बर 1992 को भारी भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। और उसके बाद राममंदिर आंदोलन ने जबरदस्त रूप धारण कर लिया। 

साल 2002: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। 

साल 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त स्थल पर अपना फैसला सुनाया जिसमें उक्त स्थल को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने एक हिस्सा रामलला, एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड और एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को देने का आदेश जारी किया। 

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई तीन हिस्सा बांटने पर। 

साल 2018: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। 

साल 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ का गठन किया। और इसी वर्ष अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई होने लगी। 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी हुई और फैसले को सुरक्षित रखा गया। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसमें 2.77 एकड़ जमीन हिन्दू पक्ष मंदिर के लिए और मुस्लिम पक्ष को अलग से 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए देने का आदेश जारी किया गया। 

साल 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन

साल 2024: 22 जनवरी 2024 को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा किया जायेगा। 

बीच बीच में कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुई जैसे कि 1990 में कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया और उसमें काफी कारसेवक मारे गए।। 

इस तरह लगभग 500 सालों का इतिहास रहा और अंत में सभी लोगों के सहयोग से राम मन्दिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ। 

जय जय सियाराम 

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©Vikas Anand
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